Ricardo’s Law of Comparative Advantage
यदि दो व्यक्ति या दो प्रदेश या दो देश दो वस्तुयें A व B पैदा करते हो, पहला व्यक्ति A व B दोनो ही वस्तुयें दूसरे व्यक्ति से अधिक दक्षता से पैदा करता हो, तब भी अगर वे दोनो मिलकर तय करे कि एक केवल A पैदा करेगा व दूसरा केवल B पैदा करेगा व फिर दोनो एक दूसरे से एक द्वारा पैदा न की हुई वस्तु व्यापार, trade, कर लेंगे, तो A व B का कुल उत्पादन पहले से ज़्यादा होगा। यानी श्रमविभाजन से उत्पादकता व कुल उत्पादन बढ़ जाते है।
Law of Diminishing Marginal Utility
अगर कोई व्यक्ति किसी वस्तु की पाँच मात्रा प्रतिदिन खाता है तो अगर उसे कोई अन्य व्यक्ति छठी मात्रा बेचने का प्रयास करेगा तो वह उसका कम मोल लगाएगा, सातवी भी बेचने का प्रयास करेगा तो उसका और भी कम मोल लगाएगा। यानी किसी भी वस्तु का अपना कोई intrinsic, अंतरनिहित मूल्य नही होता है। उसका मूल्य इस बात पर निर्भर करता है कि मनुष्य को उसकी कितनी आवश्यकता है व उस तुलना में उसकी उपलब्धता क्या है। व हर व्यक्ति हर वस्तु का अलग मूल्य लगाता है। बहुत सारे ऐसे व्यक्तियो के लगाए मूल्य का औसत मूल्य ही उस वस्तु बाज़ार भाव होता है। बाज़ार कोई स्थान नही बल्कि एक प्रक्रिया है, जिसमें मनुष्य अपने द्वारा पैदा की गई कोई वस्तु या अपना श्रम देकर दूसरे द्वारा पैदा की गई कोई वस्तु लेते है। पैसा money केवल facilitator होता है जिसका प्रयोग कर मनुष्य एक व्यक्ति को अपना उत्पाद बेचकर किसी तीसरे व्यक्ति से अन्य स्थान या अन्य समय पर उसका उत्पाद ले लेता है। पैसे, money, का भी कोई निहित मूल्य नही होता है। जो मनुष्य उसका मूल्य लगाते है वही उसका मूल्य होता है। महँगाई में वास्तव में पैसे का मूल्य गिर रहा होता है (क्यूँकि सरकार नोट छाप रही होती है अत मात्रा बढ़ने से रुपए का मूल्य कम होने लगता है यानी उतनी ही वस्तु के लिए अधिक पैसे देने पड़ते है।
Socialism समाजवाद
समाजवादी कहते है कि निजी सम्पत्ति समाप्त कर देंगे, बाज़ार समाप्त कर देंगे, पैसा भी समाप्त abolish कर देंगे, व उत्पादन केवल सरकार करेगी, सब को क्षमता के अनुसार काम करना होगा व सबको आवश्यकता के अनुसार उत्पाद मिलेंगे।
तो यह तय कौन करेगा कि कौन क्या पैदा करेगा? यानी division of labour कैसे होगा? सरकार करेगी, वे कहते है। किस वस्तु का क्या मूल्य होगा? पता नही, क्यूँकि मूल्य तो मनुष्य लगाते है अपनी आवश्यकता के अनुसार व वस्तु की मात्रा के अनुसार। Trade व्यापार कैसे होगा? क्यूँकि न तो वस्तु का मूल्य है, न किसी मनुष्य के पास निजी सम्पत्ति है तो व्यापार कैसे करेंगे? trade व्यापार नही होगा तो division of labour कैसे होगा? Division of labour नही होगा तो उत्पादन कम होता जाएगा। मूल्य नही होंगे अर्थशास्त्रीय गणना economic calculations कैसे होंगी? गणना नही होगी तो किसी भी उत्पाद की लागत कैसे पता चलेगी? किस व्यक्ति की क्या क्षमता है व उसकी क्या आवश्यकता है सरकार कैसे पता करेगी? बाज़ार तो माँग के औसत से पता करता है।
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समाजवाद के ये fatal flaws घातक दोष लेनिन के गैंग को सत्ता क़ब्ज़ाते ही पता चल गए थे। इसलिए ठगो ने रुबल भी समाप्त नही किया, काला बाज़ार black market भी तुरंत उत्पन्न होने दिया। (सरकार जब भी वस्तुओ के मूल्य निर्धारित करती है तो वस्तु का उत्पादन कम होने लगता है व काला बाज़ार उत्पन्न हो जाता है), अर्थशास्त्रीय गणना के लिए ठग ने उस समय तक के उपलब्ध मूल्यों व पूँजीवादों देशों में उपलब्ध मूल्यों का प्रयोग किया। लेकिन self-evolving श्रमविभाजन व बाज़ार व व्यापार, ट्रेड, समाप्त हुए तो उत्पादन कम होता गया व एक दिन रूस ध्वस्त हो गया।
(Law of marginal utility was published after publication of the first volume of Das Kapital. It is said that when he read the law, Marx realised his fatal error, and did not publish rest of its volumes (its subsequent volumes were published after his death).
इसलिए अब समाजवादी केवल fair redistribution of wealth की बात करते है, यानी आप निजी सम्पत्ति भी रखे, उत्पादन भी करे, लेकिन डिस्ट्रिब्यूट ये ठग करेंगे।
समाजवाद भी केवल एक अंधविश्वास है व इसकी कहानी भी किताबों वाले धर्मों की कहानी है। कितना भी उन्हें झूठ सिद्ध कर दे आप, जो इनसे लाभान्वित होते है वे कभी इन्हें समाप्त नहो होने देंगे। लेनिन के गैंग द्वारा सत्ता क़ब्ज़ाते ही ये fatal errors पता चल गयी थी लेकिन ये ठग आज भी पूरी दुनिया में राज कर रहे है विभिन्न चोले पहनकर, ऐश लूट रहे है, व देशों को नष्ट कर रहे है। समाजवाद वास्तव में वही प्राचीन सिस्टम है जहाँ से मनुष्य ने आरम्भ किया था: Tribal Society आदिवासी समाज। व सभी आदिवासी समाज अत्यंत ग़रीब होते है क्यूँकि उनमें division of labour नही होता है। और इसलिए हर समाजवादी देश ग़रीब होकर नष्ट हो जाता है।