चीन का सामान मत ख़रीदो।
अच्छा अभियान है।
बस इतना कहना चाहेंगे कि मेरे प्यारे से देश वासी, भोले से देश वासी, देश भक्त देश वासी; रात में सोने से पहले एक बार ये ज़रूर पता करने की कोशिश करेंगे कि भारत के बाज़ार चीन के सामान से पटे क्यूँ पड़े है।
क्या भारत में मज़दूरी ज़्यादा है? आख़िर ग़रीब तो हम ज़्यादा है, कम पैसे में तो मज़दूर यहाँ काम करने को राज़ी होंगे।
क्या भारत में कच्चा माल महँगा है? भला दिये में ऐसा कौन सा कच्चा माल लगता है, या प्लास्टिक के खिलोने में, या एस्कलेटर में, या टॉर्च में, जो भारत में ही नही है?
क्या भारत में यातायात महँगा है? चीन का सामान भी तो बंदरगाह के बाद उसी यातायात के साधनो से हम तक पहुँचता है।
तो? फिर भारत में ही चीन से सस्ता सामान क्यूँ नही बनता?
आख़िर चीन से चले सामान में तो फ़ैक्टरी से वहाँ के बंदरगाह फिर समुद्र के जहाज़ और फिर हमारे सड़क या रेल परिवहन तक का लदान, उतरान, व यातायात की क़ीमत अलग होती है, बनिस्बत उसके जो सामान हमारे यहाँ बने।
तो सस्ती दाल, मुफ़्त पानी, मुफ़्त बिजली के लिए वोट बेचने वाले मेरे देशभक्त देशवासियों, जो सामान चीन में बनता है वो हमारे यहाँ इसलिए नही बनता क्यूँकि हमारे श्रम क़ानून, हमारे औद्योगिक क़ानून, हमारे न्यायालय, व हमारे समाज का भरस्टाचार, जो समाजवाद से पैदा हुआ है, इन सब ने हमारे यहाँ सामान बनाना महँगा ही नही, मूर्खता पूर्ण काम बना दिया है।
एक फ़ैक्टरी लगाओ, 56 सरकारी निरीक्षक आपका ख़ून चूसने स्ट्रॉ पाइप लेकर पहुँच जाएँगे। NCR के औद्यिगिक क्षेत्रों में 1 KW का कनेक्शन लेने के लिए 5000 रुपए रिश्वत देनी पड़ती है। याने आपकी फ़ैक्टरी को 1000KW का कनेक्शन चाहिए तो निकालो 50 लाख रुपए।नाक रगड़ो अलग से। और उसके बाद NGT फ़ैक्टरी पर ताला लगा दे तो यमुना ब्रिज पर खड़े होकर सोचो की इतनी ऊँचाई से कूदने पर जान जाएगी या नही।
और व्यापारी? उसकी तो मुख्य आय है टैक्स चोरी से। तो टैक्स चोरी करने ही है तो माल चाहे यहाँ बने या चीन क्या फ़र्क़ पड़ता है। बाक़ी सूद भी तो हइये ही है।
फ़ैक्टरी यहाँ लगती तो आपके बेटे को रोज़गार मिलता। आपकी बेटी को नौकरी पेशा वर मिलता।
पर आप तो जी उसे वोट देंगे जो कहता घूम रहा है कि आपका क़र्ज़ माफ़ करेगा। आप ये तो नही पूछेंगे उस से कि क़र्ज़ हुआ क्यूँ। और फिर आप से वो सब लूट भी लेगा currency inflation से जो महँगाई बढ़ेगी उसके द्वारा। 2009 में भी तो आपके क़र्ज़े माफ़ किए थे उसने। उसके बाद आप अमीर हुए या और ग़रीब हो गए? नौकरी मिली आपके बेटे को? जितने के उसने क़र्ज़ माफ़ किए थे उतने तो आपका बेटा एक साल के वेतन में कमा लेता।
वामपंथी ने कैसे आपका जीवन नष्ट किया है अगर आपको पता होता तो दिल्ली राज्य में एक वामपंथी वोट बैंक मैनेजर को ना चुनते आप।
अगर अपने पुरखो का ज्ञान ही याद रखते तो आपको याद होता कि कमा कर ही खा सकते है, ख़ाली बैठा कर तो कोई राजा भी किसी को नही खिला सकता।
अर्थशास्त्र तो पढ़ेंगे नही आप, पढ़ते तो आपको पता होता कि स्वदेशी ख़रीदने के अभियान बहुत देशों ने चलाए, अमरीका तक ने, कभी सफल नही हुए इतिहास में।
एक ही तरह से विदेशी सामान को पीट सकते है आप: अपने यहाँ उस से सस्ता सामान बना कर।
अगर नही बना पा रहे है तो केवल और केवल उन क़ानूनों की वजह से जो होने ही नही चाहिए।