भारतीय पकोडा, व अमरीकी निम्बू पानी स्टॉल (American Lemonade stand.):
1. अमेरिका में एक iconic परम्परा है-छोटे बच्चे अपने घर के सामने निम्बू पानी के स्टॉल लगाते है। पूरा पैसा माता पिता से ऊधार लेते है, पूरा दिन निम्बू पानी बेचते है, व शाम को नफ़े नुक़सान का हिसाब कर माता पिता का पैसा लौटा देते है। सारा काम स्वयं करते है, ये नही कि रामू काका से निम्बू पानी बनवाया व बस साथ में जाकर खड़े हो गए। अधिकतर घरों में बाद में भी माता पिता कॉलेज का ख़र्च नही उठाते वहाँ, ख़ुद रेस्टौरेंट में बर्तन धोओ, वेटरगिरी करो व पढ़ो।
फलस्वरूप सारे अविष्कार अमेरिका में होते है, अमेरिका सबसे धनी है, सबसे ज़्यादा क़िस्से वहाँ है ग़रीबी में पैदा होकर सबसे अमीर बन जाने के।
2. ओद्योगिक क्रांति सबसे पहले इंग्लैंड में आयी। क्यूँ आयी? विज्ञान? विज्ञान तो साथ ही साथ युरोप में भी था। पूरी दुनिया में अंग्रेजो ने राज किया। क्यूँ किया? कोई वीर न थे। भारत में भी ज़्यादातर लड़ाई छल कपट व रिश्वतबाज़ी से जीती उन्होंने।
ओद्योगिक क्रांति व पूरी दुनिया पर उनके छाने का कारण था primogeniture. जी इंग्लैंड में साधारण परिवारों में भी परम्परा थी कि पूरी ज़मीन बड़े बेटे को जाएगी, बाक़ी बेटे सड़क पर, बड़े होते ही। बाहर निकलो, खाओ कमाओ। मरता क्या न करेगा- उद्योग लगाएगा, नाव लेकर समंदर में निकल जाएगा, लड़ेगा, राज करेगा।
हमारे यहाँ तो सात पुश्तो का इंतज़ाम करके जाने की परम्परा है।
3. भारत के कई इलाक़े है जहाँ ज़मीन का मालिक अपने ही खेत में हल चलाने को सबसे बड़ा अपमान मानता है। कल्पना करे-किसान हल चलाने को सबसे बड़ा अपमान मानता है।
और भारत सबसे ग़रीब देश है।
जहाँ हर व्यक्ति काम को अपमान मानेगा, तो काम होगा नही, और बिना काम कोई धन नही हो सकता, कोई समृद्धि नही हो सकती।
इसीलिए हर आदमी नौकरी के पीछे भागता है यहाँ, ऐसी नौकरी जिसमें काम न करना पड़े। बच्चो को बजाय नींबू पानी बेचना सिखाने के, संटी मार मार कर पढ़ाने में लगे है हम लोग-पढ़ नही तो नौकरी नही मिलेगी। इतना विवश कर दिया है बच्चो को कि एक दूसरे की जान ले रहे है बच्चे, या अपनी जान ले रहे है।
रंगदारी सबसे बड़ा उद्योग बन गया है। कोई व्यवसाय करे भी तो extortionists पहुँच जाते है हफ़्ता माँगने, क्यूँकि उसमें शान है, पकोड़े बनाने में या हल चलाने में अपमान।
या सरकारी नौकरी मिल जाए तो regulation करके उद्योग धंधे बंद कराओ, पकोड़े वालों की रहड़ी ज़ब्त करो।
4. मोदी ने पकोड़े बनाने से पहले संगठित क्षेत्र में बढ़ती नौकरियों के आँकड़े दिए थे। लेकिन देश ने क्या सुना? पकोड़े बनाने को बोल रहा है मोदी! हम और पकोड़े? PhD की है PhD। PhD कर नगर पालिका के सफ़ाई कर्मचारी का तो फ़ॉर्म भर सकते है लेकिन पकोड़े? बस PhD कर ली, अब हम दुनिया के दामाद हो गए। नौकरी दो हमे। तुम्हारी duty है।
मान अपमान inter-subjective होते है। याने अधिकतर लोग जिसे मान माने वो मान, जिसे अपमान माने वो अपमान।
हमने काम को अपमान मान लिया है। घूसख़ोरी को सम्मान मान लिया है। हर पिता घूसख़ोर दामाद ढूंढ़ता है।
पैसा नामक कोई वस्तु होती ही नही है। पैसा तो एक रसीद है जो हमारे काम या हमारी बनाई वस्तु के बदले में ख़रीददार हमे देता है। हम काम न करे या कुछ वस्तु न बनाए तो कोई पैसा नही हो सकता। जो पैसा हम बचाते है, वह पूँजी है। तो हम काम न करे या कुछ वस्तु न बनाए तो कोई पैसा नही सकता, ना ही पूँजी हो सकती। इसीलिए न हमारे पास पैसा है ना पूँजी है, और हम दुनिया के सबसे ग़रीब देशों में है। क्यूँकि हमने काम को ही अपमान मान लिया है। जैसे हिरन घास खाने को अपमान मान ले या शेर हिरन खाने को अपमान मान ले। दोनो भूखे ही मरेंगे।
(1.अमेरिका में भी नौकरशाही पैर पसार रही है वामियों की वजह से। कई घटनाये हो चुकी है जब पुलिस ने बच्चो से निम्बू पानी बेचने के लाइसेन्स दिखाने की माँग की, या फ़ूड इन्स्पेक्टर ने सैम्पल लेने की धमकी दी।
2. चीन सीखना चाहता है कि innovation अमेरिका में ही क्यूँ होते है। इसके लिए वो चीनी बच्चो को अमेरिका पढ़ने भेजता है, फिर उन्हें वापिस बुलाता है कि कुछ innovation करके दिखाओ।(जी हमारी तरह क़ानून बना कर वापिस नही बुलाता, बल्कि कहता है अमेरिका से दस प्रतिशत ज़्यादा देंगे, वैसी ही कालोनी बना कर देंगे, वही सुविधाए देंगे।) (ये क़ानून की बीमारी नई लगी है हमें-जहाँ समस्या नज़र आए, क़ानून बना दो।))