राहुल गांधी (व राजीव गांधी के भी) के सलाहकार सैम पित्रोदा ने कहा है कि मुफ़्तखोरो को 72000 सालाना रुपए देकर वोट ख़रीदने की योजना के लिए पैसा मध्यम वर्ग पर टैक्स बढ़ा कर पैदा किया जाएगा।मध्यम वर्ग या किसी भी वर्ग का पैसा अलमारी में जमा नही होता प्रतिवर्ष कि लूटीयन ख़ानदान आए, लूटे, और वोट ख़रीदे और फिर दिल्ली व लंदन में संपत्ति बनाए। आप जो कमाते है उसे ख़र्च करते है और आप का ख़र्च ही दूसरे की आय होती है। जो बचाते है उसे भी आप बैंक में जमा करते है या इन्वेस्ट करते है जिससे उद्योग धंधे लगते है व ग़रीबों को रोज़गार मिलता है।
आप एक उदाहरण ले। मान लीजिए आप ने कार ख़रीदी। लूटीयन गांधी की लार टपकेगी कि अच्छा होता उस पैसे से वो वोट ख़रीदता। लेकिन कार ख़रीद कर आपने ग़रीब के चूल्हे ही जलाए है। आइए देखते है कैसे:
कार स्टील, व अन्य धातुओं से बनती है, रबर व प्लास्टिक व शीशे का भी प्रयोग होती है।कार ख़रीद कर आपने:
1. लोहे, ताँबे, ऐल्यूमिनीयम व अन्य धातु की खदानो में काम करने वाले मज़दूरों को रोज़गार दिया।
2. उस खनिज को प्लांट तक पहुँचाने वाले ट्रक ड्राइवर, क्रेन ड्राइवर, व रेल के ड्राइवर को काम दिया।
3. खनिज से धातु बनाने वाले सारे मज़दूरों को रोज़गार दिया।
4. उस धातु को गुडगाँव मारुति के कारख़ाने तक लाने वाले ट्रक ड्राइवर, रेल के ड्राइवर, क्रेन ऑपरेटर को काम दिया।
5. शीशे के कारख़ाने में काम करने वाले मज़दूरों को काम दिया।6. रबर व प्लास्टिक बनाने वाले मज़दूरों को काम दिया।
7. रबर, शीशे, व प्लास्टिक को मारुति के कारख़ाने तक लाने वालों ट्रक के ड्राइवरो को काम दिया।
8. मारुति में काम करने वाले मज़दूरों को काम दिया।
9. मारुति के लिए पैंट, व टायर बनाने वाले मज़दूरों को काम दिया।
10. मारुति कार को आपके नगर तक लाने वाले ट्रक ड्राइवर को काम दिया।
11. डीलर के यहाँ काम करने वाले सारे कर्मचारियो को काम दिया।
इन सब की गिनती करे तो संख्या लाखों में पहुँचेगी। आप अपने घर की किसी भी वस्तु को ले: घर, दरवाज़े, खिड़की, बेड, वॉशिंग मशीन, मिक्सी, गैस का चूल्हा, गैस, कपड़े, दूध, सब्ज़ीया…….. हर वस्तु पर आपका ख़र्च किया पैसा किसी ग़रीब का चूल्हा चलाता है।
ये मैंने केवल डिरेक्ट लिस्ट दी है आपको। अगर हर उत्पाद की पूरी लिस्ट बनाऊँ तो आप पाएँगे कि अंडमान में रहने वाले Sentenelese के अलावा दुनिया के लगभग सभी सात सौ करोड़ लोगों की रोज़ी रोटी आप के ख़र्च किए पैसे से चलती है।
सैम पित्रोदा ने कहा है कि मध्यम वर्ग को कम स्वार्थी होना चाहिए। अरे ओ सैम पित्रोदा नामक आर्थिक अँगूठाछाप, मध्यम वर्ग (व उच्च व निम्न वर्ग , जो भी अपनी आजीविका कमाता है) वो तो सबसे अधिक निस्वार्थ व दयालु है जो अरबों लोगों को रोज़गार दे रहा है, तेरी तरह लुटेरों के तलवे चाटकर ऐश नही कर रहा है।
अब अगर ये लूटीयन ख़ानदान वाले व उसके चमचे आपका कार का बजट टैक्स में लूट ले गए तो ये सब करोड़ों लोग बेरोज़गार हो जाएँगे, व इन्हें भी 72000 रुपए देने होंगे। इसलिए फिर आप पर टैक्स बढ़ाना पड़ेगा, व फिर अन्य करोड़ों लोग बेरोज़गार हो जाएँगे व फिर आप पर टैक्स बढ़ाना पड़ेगा व अगले वर्ष आप भी बेरोज़गार हो जाएँगे, लेकिन जिस पर टैक्स लगा सके ऐसा कोई न होगा, न सरकार रहेगी, न देश रहेगा। वेनेज़ुएला ऐसे ही समाप्त हो गया।
अर्थशास्त्र पढ़े, पढ़ाए। अपनी कमाई पर गर्व करे। जितना अधिक आप कमा रहे है उतनी ही आप ग़रीब की सहायता कर रहे है।और वोट देने अवश्य जाये, चाहे स्ट्रेचर पर लेट कर जाना पड़े।