Trade Union Mafia Reaches Punjab
कुछेक दिन पहले पंजाब स्थित केंद्र सरकार के एक बड़े संस्थान में यूनियन द्वारा एक बहुत ही उच्च अधिकारी का घेराव कर दुर्व्यवहार किया गया।
पंजाब के युवा लाखों ख़र्च करते है विदेश जाने के लिए, माँ बाप ज़मीन बेचते है, क़र्ज़ा लेते है। अक्सर यूरोप में समुन्दर के रास्ते में घुसने के प्रयासों में डूब भी जाते है। फिर वहाँ जाकर टैक्सी चलाते है, होटेल में काम करते है, इत्यादि....
पूरी अर्थव्यवस्था division of labour पर आधारित है। किसी को नहीं पता कि अधिकारी किसे बनना है, कर्मचारी किसे। सरकार रिक्तियाँ विज्ञापित करती है, सभी अधिकारी भी बनने का प्रयास करते है, फिर कर्मचारी बनने का प्रयास करते है, कुछ नहीं बन पाते तो विदेश की जुगाड़ लगाते है।
हर पद के लिए विज्ञापन में वेतन लिखा होता है, काम लिखा होता है, काम के घंटे लिखे होते है। कर्मचारी बनने के लिए लाखों जेब में लिए घूमते रहते है लोग, अधिकारियों के पैर पकड़ते है-कुछ कर के बनवा दो।
और कर्मचारी बनते ही किसी यूनियन में भर्ती होकर उन्ही अधिकारियों के साथ मारपीट आरम्भ कर देते है: वेतन बढ़ाओ, काम के घंटे कम करो, काम कम करो, बिना छुट्टी लगाए छुट्टी दो, देर से आने पर सवाल मत करो, जल्दी जाने दो, ये काम नहीं करूँगा, वो काम नहीं करूँगा, काम के घंटो के दौरान काम नहीं करूँगा, ओवर टाइम दो तो काम करूँगा........
सरकारी कारखाने तो वहाँ लगते है जहाँ नेता चाहते है। पंजाब का ये संस्थान भी आतंकवाद के दिनो में वहाँ स्थापित हुआ था- "लड़कों को काम मिलेगा तो आतंकी नहीं बनेंगे।"
लेकिन एक समाज अगर फ़ैक्टरी में कर्मचारियों द्वारा हिंसा (हड़ताल भी हिंसा ही है) को नैतिक मान्यता दे देता है, व सरकार व क़ानून लागू करने वाली मशीनरी तमाशा देखती रहती है तो निजी फ़ैक्टरी वहाँ फिर नहीं आती कोई। और निजी फ़ैक्टरीया जहाँ नहीं होती वहाँ सरकारी फ़ैक्टरी भी बहुत ज़्यादा नहीं हो सकती।
एक बाबा हुआ एक सौ पचास साल पहले। मार्क्स बाबा। बोला मुझे पता चल गया है पृथ्वी पर मानव क्यूँ आया है, व भविष्य क्या है। उसके अनुसार पृथ्वी पर मानव अपने से धनी की सम्पत्ति छीनने आया है, व वह न दे तो उसे मार देना भी उचित व नैतिक है। और भविष्य ये है कि सारी सम्पत्ति ग़रीब छीन लेंगे व उसी के साथ पृथ्वी पर स्वर्ग आ जाएगा।
जैसे हर बाबा के अनुयायी होते है इस बाबा के अनुयायी भी बन गए। जो इस बाबा के विरुद्ध बोलता है उसे मारते है, व इस बाबा के बताए रास्ते पर चल अपने से धनी लोगों की सम्पत्ति छीनने का प्रयास करते है। यूनियने उसे मार्क्स बाबा की भजन मंडली है, उसी के बताए रास्ते पर चल फ़ैक्टरी मैनज्मेंट से मार पीट करती है, हत्या करती है, ऐसी माँगे मनवाती है जिनसे फ़ैक्टरी ही बंद हो जाती है।
सब बेरोज़गार होकर घर बैठ जाते है। अमेरीका जैसे देश में भी फ़ैक्टरीया बंद करवा दी मार्क्स बाबा के चेलों ने। वहाँ के धनी अपना पैसा अब चीन की फ़ैक्टरीयो में लगाते है, चीन के लोगों को रोज़गार मिलता है।
यूनियन द्वारा हिंसा व बल प्रयोग भी अनैतिक है अपराध है और जो भी समाज अनैतिक व अपराध को स्वीकृति देता है, मौन स्वीकृति ही सही, हमेशा ग़रीबी व भूखमरी व बेरोजगारी में जीता है।
सड़क पर गले पर चाकु रखकर जेब ख़ाली करवाना, या फ़ैक्टरी में मैनज्मेंट के गले पर चाकु रखकर जेब ख़ाली करवाना, जब तक हम दोनो को एक ही अपराध नहीं मानेगे ऐसे ही भूखमरी में जीएँगे।
यूनियन के गुंडो ने एक सौ तीस करोड़ लोगों का भविष्य बँधक बनाया हुआ है और सब भेड़ की तरह चुप है।
अर्थव्यवस्था एक स्वेछिक तंत्र है व हिंसा का इसमें प्रवेश होते ही ये नष्ट हो जाती है।
शायद कभी यूरोप के पास समंदर में डूब रहा पंजाब का कोई युवा ये सत्य जान पाए, अंतिम साँस लेने से पहले।