डॉक्टर भगवान के रूप नही होते, वे भगवान ही होते है।
हम मनुष्यों की सबसे बड़ी समस्या है कि हमारी इंद्रियाँ उसे साधारण मान लेती है जिसे वो रोज़ देखती, महसूस करती है, जैसे हवाई जहाज़। हवाई जहाज़ साधारण वस्तु नही है, एक चमत्कार ही है, लेकिन क्यूँकि हम उसे रोज़ देखते, प्रयोग करते है इसलिए हम उसे एक साधारण वस्तु ही समझते है।
डॉक्टर भी अब क्यूँकि हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गए है, इसलिए हम उन्हें भी बस एक और मनुष्य जिसे पैसे देकर हम कोई सेवा लेते है ऐसा मानने लगे है।
पहली बात तो ये के डॉक्टर कोई अन्य प्रफ़ेशनल, जैसे इंजिनयर, वक़ील, आर्किटेक्ट इत्यादि जैसे नही है। न केवल उनकी पढ़ाई सबसे मुश्किल है: आठ साल लग जाना एक मामूली बात है, किताबें इतनी भारी के जिम जाने की आवश्यकता ही ना हो, और शब्दावली पूरी ग्रीक और लैटिन में जिसे कंठस्थ याद करना होता है। लेकिन उस से भी बड़ी बात ये के ये लोग जिस वस्तु पर काम करते है- मानव शरीर, उसकी ये ख़ुद रचना नही करते। वो जैसा है, वैसा उसे स्टडी करना होता है, समझना होता है, उसके हर अंग को अलग से और शरीर में उसके उद्दयेशय को समझना होता है। और उस से भी मुश्किल बात कि हर दो मानव शरीर एक जैसे नही होते। बल्कि वही मानव शरीर भ्रूण से लेकर मृत्यु तक हर दिन एक नए रूप व अवस्था में होता है। और उस से भी मुश्किल बात: मानव शरीर अगर ठीक भी होता है तो स्वयं, डॉक्टर बस उसे गाइड करते है, और जब ठीक हो रहा हो तो हर तरह के हमलों से उसे बचा कर रखते है। हमले करने वाले रोगाणु भी लाखों करोड़ों में होते है जिनका अध्ययन भी ये सफ़ेद कोट वाले करते है।
दुनिया में जितने भी आविष्कार होते है वो या तो मिलिटेरी के लिए होते है, या डॉक्टर के लिए होते है। उसके बाद उनका अन्य क्षेत्रों में प्रयोग होता है।
अब से बीस पच्चीस साल पहले तक आज की ज़्यादातर मशीने जो अब हम अस्पतालों में देखते है वो नही थी। तब भी डॉक्टर बीमारी का पता कर ही लेते थे, और इलाज भी कर लेते थे। मतलब मशीन बस उनकी सहायक मात्र है।
इसके अलावा हर डॉक्टर अपने आप में पूर्ण होता है। जितने भी काम आप नर्स व compounder को करते देखते है, हर डॉक्टर ने केवल वो सब कर सकता है, बल्कि नर्स व compounder से बहुत ज़्यादा अच्छा कर लेता है। तो आप ये ना सोचे कि डॉक्टर बस आराम से बैठ कर आपको सुनता है, मशीनो से आपकी जाँच करवाता है, कुछ समझ में न आने वाला लिखता है, और आप से पैसे ले लेता है। डॉक्टर सर्जरी ही नही, साधारण मरहम पट्टी व इंजेक्शन भी नर्स वग़ैरह से अच्छा जानते और करते है।
अब से सौ साल पहले तक भी भारत में एक महिला औसतन छः से सात बच्चों को जन्म देती थी, और उन्मे जीवित रहते थे एक या दो। अगर अब आप केवल एक बच्चे को जन्म देकर इतना निस्चिंत रहते है कि दूसरे बच्चे की चाह नही रखते तो उसका एकमात्र कारण डॉक्टर है।
पचास साल पहले तक बुखार से भी लोग मरते थे। अब डॉक्टर नया अंग लगा कर, आपको हॉस्पिटल से विदा करते है ऐसे जैसे आप कभी हॉस्पिटल गए ही नही थे। कुछ समय बाद आप भूल ही जाते है कि आप कभी हॉस्पिटल गए भी थे।
लेकिन अब इस भगवान पर एक ग्रहण लगने वाला है।
वामपंथी नाम के राक्षस की कुदृष्टि डॉक्टर पर पड चुकी है।
डॉक्टर की सेवा की एक क़ीमत होती है। डॉक्टर बहुत ही मुश्किल और लम्बी पढ़ाई कर डॉक्टर बनता है। उसके समय और ज्ञान की क़ीमत होती है। जिस क्लीनिक में वो बैठा है उसकी क़ीमत होती है। जो उसका स्टाफ़ है उसका वेतन भी उसे देना होता है। जितनी भी मशीन वो प्रयोग करता है वो बहुत महँगी होती है।
लेकिन वामपंथी कह रहे है कि ग़रीब को ये सब मुफ़्त में मिलना चाहिए।
ऐसा नही था कि मेडिकल सेवाए थी, हमेशा थी, और डॉक्टर आए और उन्होंने उन पर क़ब्ज़ा कर लिया और अब महँगे में बेच रहे है। सारी मेडिकल सेवाए डाक्टर्ज़ ने create की है, उन पर लागत आयी है, और वो लागत वसूलने का उन्हें पूरा क़ानूनी व नैतिक अधिकार है।
ऐसा नही हो सकता कि कोई व्यक्ति या समूह कुछ बनाए और बाक़ी लोग कहे कि क्यूँकि ये बन गया है इसलिए अब हमें ये मुफ़्त में दो, निशुल्क दो, क्यूँकि इसे ख़रीदने के लिए हमारे पास पैसे नही है।
आप अपने शहर के सबसे महँगे अस्पताल के सामने से गुज़र रहे है, जैसे मेदांता या लीलावती। और आप कहे के क्यूँकि आप उसकी फ़ीस नही दे सकते इसलिए आप पर अत्याचार हो रहा है, आप के विरुद्ध अन्याय हो रहा है, आप को चिकित्सा सुविधा से वंचित किया जा रहा है, तो ये वामपंथी की दुनिया में तो एक प्रलाप हो सकता है, सदाचारियों (honest) की दुनिया में तो ये सीधे सीधे ऐसा ही है कि आप किसी के घर के सामने से गुज़रे और कहे कि क्यूँकि आप के पास वैसा घर नही है इसलिए समाज आपको वैसा घर बना कर निशुल्क दे। वरना समाज अत्याचारी है।
कुछ साल पीछे जाए। मेदांता और लीलावती तो उस जगह पर जहाँ वो है कभी थे ही नही। ऐसा नही है के वो थे और आप उन्मे जाया करते थे और अब उनके मालिक या डॉक्टर ने उन पर क़ब्ज़ा कर लिया और इतना महँगा कर दिया कि अब आप नही जा पाते।
तो जिस तरह से आप उस समय जी रहे थे जब मेदांता व लीलावती नही थे ऐसे ही आप अब जीते रहिए। उनका बन जाना आप के ऊपर या ग़रीब के ऊपर अत्याचार कैसे हो गया, और कैसे आपका या ग़रीब का ये अधिकार हो गया कि उन्मे आपको या ग़रीब को निशुल्क चिकित्सा दी जाए?
ना ही उनके बन जाने से कुल चिकित्सा सुविधा(Total available medical facilities) में कोई कमी आयी। बल्कि क्यूँकि पैसे वाले लोग वहाँ चले गए तो आपके लिए तो सुविधा उलटे बढ़ गयी।
अगर ये अस्पताल महँगे है तो उसके कारण डॉक्टर के बस से बाहर की बात है। राजनेता-नौकरशाह-बिल्डर माफ़िया ने मिलकर शहरों में ज़मीन महँगी कर दी। पहले सारे अस्पताल या तो सरकार बनाती थी, या डॉक्टर अपने पूरे जीवन की कमायी लगाकर बनाते थे। सरकार के पास पैसा नही क्यूँकि आप को मुफ़्त में चावल भी चाहिए। डॉक्टर ज़मीन ख़रीद नही पाते। Rent Control क़ानूनों ने single doctor वाले क्लीनिक भी ख़त्म कर दिए। इन सभी कारणों में डॉक्टर का कोई हाथ नही है। ये सब कारण इसलिए पैदा हुए क्यूँकि हम ठग और लुटेरों को वोट देते है और हमारी नौकरशाही और न्यायपालिका पूरी तरह भ्रस्ट है, और हमें समाजवाद चाहिए।
वरना हर डॉक्टर का सपना होता है कि वो अपना क्लीनिक चलाएगा, पैसे बचाएगा और फिर एक अस्पताल खोलेगा। उसके इस सपने को हमारे समाजवाद ने ही असम्भव बनाया है।
ये सच है कि कुछ डॉक्टर professionally भ्रस्ट हो सकते है। फिर भी जिस समाज से वे आते है उसका भरस्टाचार देखे तो डॉक्टर देवता ही है।
ऊपर लिखे मेरे सारे तर्क व्यर्थ है। क्यूँकि वामपंथी अगर तर्क समझ सकता तो वामपंथी ही न होता।
अब अगर चिकित्सा व्यवसाय पर वामपंथी की कुदृष्टि पड ही गयी है तो वो ग़रीब को आगे कर चिकित्सा व्यवसाय को ख़त्म कर के ही दम लेगा। पहले वो दवाइयाँ मुफ़्त करेगा। बाज़ार नक़ली दवाइयों से भर जाएगा। फिर वो कहेगा कि निजी अस्पताल में ग़रीब का इलाज मुफ़्त होना चाहिए और इसके लिए क़ानून बना देगा। निजी अस्पताल भी सरकारी अस्पताल की तरह ख़त्म हो जाएँगे।अपनी लागत निकालने के लिए वो डॉक्टर से चाहेंगे कि वो उलटे सीधे काम करे।
डॉक्टर देखेंगे कि आठ साल की कमर तोड़ पढ़ाई के बाद भी ना कही क्लीनिक है, ना कोई ऐसा अस्पताल जहाँ वो केवल मरीज़ों को ठीक कर सके।
लोग डॉक्टर बनना ही बन्द कर देंगे।
वामपंथी क़ानून के सहारे सब कर सकता है लेकिन वो किसी को डॉक्टर बनने के लिए मजबूर नही कर सकता। और चिकित्सा व्यवस्था नर्स नही है, क्लीनिक नही है, अस्पताल नही है, मेदांता नही है, लीलावती नही है……….चिकित्सा व्यवस्था केवल और केवल डॉक्टर है। डॉक्टर नही होंगे तो वामपंथी के सारे क़ानून, सरकार का सारा पैसा हमें चिकित्सा सुविधा नही दे सकता।
RTE ने शिक्षा नही दी। शिक्षा को ख़त्म कर दिया और आसमान से भी महँगा कर दिया।
डॉक्टर को वामपंथी से कैसे बचाए हम?
काफ़ी डॉक्टर भी तो सोचते है कि वामी दया तो रखता ही है।
अगर अमेरिका में भी वामपंथी ओबामाकेअर लाने में सफल रहे है तो और किसी देश का क्या कहे हम…….
डॉक्टर को वामपंथी से कैसे बचाए हम……
(लेखक: अनंग पाल मलिक)